वैशाख में नहाना
विक्रम संवत् का वैशाख माह में स्नान करने से सौ गौ के दान जितना फल इत्यादि मिलता है। वेशाख में मटका या मिश्री के कुज्जे दें और उसको उसके ढक्कन से ढक दें। ढक्कन में चीनी ओर दक्षिणा दें। चावल, दाल, चीनी, घी, नमक, आटा, सब्जी, आम, बेल, ककडी, हरा नींबू, कमल, केला और सब तरह के फल व लकड़ी का पंखा, दूध, दही, छाछ, लगा हुआ पान, ठण्डा आंवले का मुरब्बा, पहनने के सब प्रकार के वस्त्र, तकिया, चटाई, चादर, छाता, जूता, खड़ाऊँ आदि सब प्रकार की चीजें देनी चाहिए।
प्याऊ भी लगवा देनी चाहिए। दान करने की बहुत-सी चीजें हैं। अगर किसी को दान देने की इच्छा हो तो वेशाख में महात्म्य देखकर दे देना चाहिए। जों, पीतल का दान करना चाहिए। जों का आटा देना चाहिए। शहद में तिल मिलाकर देने चाहिए। वेशाख का महत्त्व सुनना चाहिए ओर भगवान की पूजा करनी चाहिए।