Kabir Ke Shabd
बैठ अकेला दो घड़ी ईश्वर के गुण गाया कर,
मन मंदिर में गाफिला झाडू रोज लगाया कर
सोने में तुने रात गुजारी दिन भर करता पाप रहा ,
इसी तरह बर्बाद तू प्राणी करता अपना आप रहा
प्रात: उठकर प्रेमिया सत्संग में नित जाया कर
बैठ अकेला दो घड़ी ईश्वर के गुण गाया कर,
मन मंदिर में गाफिला झाडू रोज लगाया कर
बार बार मानुष तन पाना बच्चों वाला खेल नहीं
जन्म जन्म के शुभ कर्मो का जब तक होता मेल नहीं.
नर तन पाने के लिए उत्तम कर्म कमाया कर
बैठ अकेला दो घड़ी ईश्वर के गुण गाया कर,
मन मंदिर में गाफिला झाडू रोज लगाया कर ,
पास तेरे है दुखिया कोई तूने मोंज उड़ोई क्या,
भूखा प्यासा पड़ा पड़ोसी तूने रोटी खाई क्या
पहले सबसे पूछकर , फिर तू भोजन पाया कर,
बैठ अकेला दो घड़ी ईश्वर के गुण गाया कर,
मन मंदिर में गाफिला झाडू रोज लगाया कर
देख दया उस परमेश्वर की जिसने उत्तम जन्म दिया,
सोच जरा तू मन में प्राणी कितना ही उपकार किया
प्रात: उठकर हें प्राणी उसका शुक्र मनाया कर.
बैठ अकेला दो घड़ी ईश्वर के गुण गाया कर,
मन मंदिर में गाफिला झाडू रोज लगाया कर