बदल जा हो मनवा
Kabir Ke Shabd
बदल जा हो मनवा, हो जागा बेड़ा पार।।
चांदी सोने में चोंच मंढा के, चला हंस की लार।
कव्वा बाण कदे ना छोडै, आदत से लाचार।।
युग युग सींचो अरण्ड दूध से, लगते नहीं अनार।
चूर चूर चन्दन कर डारो, तजे नहीं महकार।।
सज्जन के मुख अमिरस बरसे, जब बोलै तब प्यार।
दुर्जन का मुख बन्द कर राखो, भट्ठी भरे हैं अंगार।।
अपनी बीती आप कहत है, ओर