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क्या मंत्र भी ‘वैद्य’ एवं ‘अवैद्य’ होते हैं ? – Are mantras also ‘Vaidya’ and ‘Avaidya’?


क्या मंत्र भी ‘वैद्य’ एवं ‘अवैद्य’ होते हैं ?
जिस प्रकार की पति-पत्नी के समागम से उत्पन्न बालक को वैद्य’ तथा व्यभिचार द्वारा उत्पन्न बालक को समाज ‘अवैद्य’ मानता है। जबकि उस बालक की उत्पत्ति स्त्री के ही गर्भ से होती है ठीक उसी प्रकार गुरु द्वारा प्रदान किया गया मंत्र ‘वैद्’ होता है तथा रटा-रटाया मंत्र अवैद्यता की श्रेणी में आता है।
अथ मंत्रमहार्णवप्रारंभ : हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक - तंत्र-मंत्र | Ath Mantra  Maharnava Prarambh : Hindi PDF Book - Tantra-Mantra - 44Books
Are mantras also ‘Vaidya’ and ‘Avaidya’?

कुछ लोगों का कथन है कि गुरु द्वारा प्रदान किया गया. मंत्र एवं पुस्तकों में लिखा मंत्र एक ही होता है। शब्द एवं वर्णमाला एक ही होता है फिर यह भेद क्यों ? यदि यह कहा जाए कि अग्नि तो एक ही है चाहे वह चिता श्मशान की हो या हवन कुण्ड की, चूल्हे को हो या अन्य की।
प्रकाश गुण जलाने की क्षमता एक समान होती है किन्तु यदि आपसे कहा जाए कि श्मशान की जलती चित पर खाना बनाकर खा सकते हो तो आपका सीधा जवाब ‘नहीं’ में होगा। आप यह भी कह सकते हैं कि चिता की आग पर बनी रोटी भला खाने योग्य होगी। मंत्रों में भी ऐसा ही विचार होता है।

आखिर क्यों ? !
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