1951 में आया पहला केस सामने :
गांव के बुजुर्गों के मुताबिक उनकी खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी कई दशकों पहले ही खत्म हो चुकी थी, जब प्रांत को एक खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिसके बाद से कई स्थानीय लोग अजीबोगरीब हालात से जूझ रहे हैं, जिसमें ज्यादातर 5 से 7 साल के बच्चे हैं। इस उम्र के बाद इन बच्चों की लंबाई रुक जाती है। इसके अलावा वो कई और असमर्थताओं से जूझ रहे हैं।
इस इलाके में बौनों को देखे जाने की खबरे 1911 से ही आती रही है। 1947 में एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने भी इसी इलाके में सैकड़ो बौनों को देखने की बात कही थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस खतरनाक बीमारी का पता 1951 में चला जब प्रशासन को पीड़ितों के अंग छोटे होने की शिकायत मिली। 1985 में जब जनगणना हुई तो गांव में ऐसे करीब 119 मामले सामने आए। समय के साथ ये रुकी नहीं, पीढ़ी दर पीढ़ी ये बीमारी भी आगे बढ़ती गई। इसके डर से लोगों ने गाँव छोड़ कर जाना शुरू कर दिया ताकि बीमारी उनके बच्चो में ना आये। हालॉकि 60 साल बाद अब जाकर कुछ हालात सुधरे है अब नई पीढ़ी में यह लक्षण कम नज़र आ रहे है।
आज भी रहस्य है इसका कारण :
अचानक से ऐसा क्या हुआ की एक सामन्य कद काठी के लोगों का गाँव, बौनों के गाँव में तब्दील हो गया ? यह रहस्य वैज्ञानिक 60 साल बाद आज तक नहीं सुलझा पाये है। वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस गाँव की पानी, मिटटी, अनाज आदि का कई मर्तबा अध्ययन कर चुके है लेकिन वो इस स्थिति का कारण खोजने में नाकाम रहे है। 1997 में बीमारी की वजह बताते हुए गांव की जमीन में पारा होने की बात कही गई, लेकिन इसे साबित नहीं किया जा सका। वहीँ कुछ लोगो को मानना है की इसका कारण वो ज़हरीली गैसे है जो जापान ने कई दशको पहले चीन में छोड़ी थी, हालांकि यह एक तथ्य है की जापान कभी भी चीन के इस इलाके में नहीं पहुंचा था। ऐसे ही समय-समय पर तमाम दावे किए गए, लेकिन सही जवाब नहीं मिला।
अब गांव के कुछ लोग इसे बुरी ताकत का प्रभाव मानते हैं, तो कुछ लोगों का कहना है कि खराब फेंगशुई के चलते हो ऐसा हो रहा है। वहीं, कुछ का कहना ये भी है कि ये सब अपने पूर्वजों को सही तरीके से दफन ना करने के चलते हो रहा है।
विदेशियों को जाने की है मनाही :
चीन में कोई ऐसा गाँव है इससे चीनी प्रशासन मना तो नहीं करता है लेकिन वहाँ पर किसी विदेशी को जाने की इज़ाज़त नहीं है। यहाँ के बारे अधिकतर जानकारी यहाँ पहुँच पाने वाले रिपोर्टर्स के द्वारा ही मिल पाती है।