कबीर भजन चेतावनी
प्यारे प्रपंच में तो दिन रात तुम गुजारो,
मानुष का तन ये पाके कूद्ध जो जरा विचारा।
दो दिन का ये बसेरा करते हो मेरा।
सब छोड़ अपना डेरा खाली गए हजारों,
आशा की क्षाशा जागे तृष्णा के पीछे लागे।
फिरते हो क्यों अभागे सन्तोष दिल से धारो।
देवेगा सोई पाए अरु क्रुद्ध न काम आवें ।
कहत कबीर ज्ञानी संसार है, ये फानी।
तजि अपना सब नादानी, ममता और मद को मारो।।