Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
अखण्ड साहब का नाम, और सब खण्ड है।
खण्डित मेर सुमेर, खण्ड ब्रह्मांड है।।
थिर नहीं रह धन धाम, सो जीवन द्वंद है।
लख चौरासी जीव, पड़े यम फन्द हैं।।
जा का गुरु से हेत, सोइ निर्बन्ध हैं।
उन साधन के संग, सदा आनन्द है।।
चंचल मन थिर राख, तब है भल रंग हैं।
उलट निकट कर पीव, बहे अमृत गंग है।।
दया भाव चित्त राख, यही भक्ति का अंग है।
कह कबीर चित्त चेत, सो जगत पतंग है।।