Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
तनै धर्मराज कै जाना, ना कुकर्म कर बन्दे।
सै यम राजा का थाना, उस तैं डर बन्दे।।
हर एक कर्म का लेखा, जब बड़ी गौर से देखा।
तेरा हीरा बन जा रेता,कर्म वो न कर बन्दे।।
तेरा हीरा बन जा रेता,कर्म वो न कर बन्दे।।
तन पांच तत्व की माटी, संसार भरम की घाटी।
सरे आम लुटे तेरी हटी, यत्न कोए कर बन्दे।।
सरे आम लुटे तेरी हटी, यत्न कोए कर बन्दे।।
जब आवै हरि हलकारा,तनै आफत होजा भारा।
काल का लगै फटकारा, उतर जा जर बन्दे।।
काल का लगै फटकारा, उतर जा जर बन्दे।।
कर नेकी कर्म कमाले,बुरे कर्म तैं पांव हटाले।
तुं भजन की मेवा खाले,मिलेगा सब्र बन्दे।।
तुं भजन की मेवा खाले,मिलेगा सब्र बन्दे।।
हर बार न मौका मिलता, जा पल पल सूरज ढलता।
यो पुष्प रोज ना खिलता, मृग गए चर बन्दे।।
यो पुष्प रोज ना खिलता, मृग गए चर बन्दे।।
करो हर की रोज मजूरी, भरो सच्चे धन से तिजोरी।
तजो रामकिशन मगरूरी, जां कर्ज सर बन्दे।।
तजो रामकिशन मगरूरी, जां कर्ज सर बन्दे।।