साधु-महात्मा को कुछ देकर आना चाहिये
स्वामी जी श्री भोला नन्दगिरि जी महाराज कटक में बाबू देवेन्द्रनाथ मुखर्जी के घर ठहरे थे। कॉलेज के चार छात्र स्वामी जी के दर्शनार्थ वहाँ गये। छात्रों ने जाकर चरणों में प्रणाम किया स्वामी जी ने बड़े मधुर स्वर में कहा-बच्चो! साधु या देवता के दर्शनार्थ जाना हो तब उन्हें देने के लिये कुछ भेंट ले जानी चाहिये। नहीं तो,बड़ा अपराध होता है। तुम लोग यहाँ साधु-दर्शन के लियेआये हो तो मुझे कुछ दे जाना चाहिये। छात्रों ने सोचा कि स्वामी जी कुछ रुपये चाहते हैं। वे मन में सोचने लगे, हम गरीब छात्र रुपया-पैसा कहाँ से लायें। इतने में ही स्वामी जी हँसकर बोले- देखो बच्चो! रुपये-पैसे की बात मत सोचो। मुझे तो तुम यह वचन दे जाओ कि मेरी कही हुई चार बातें याद रखोगे और इनका पालन करोगे। कभी भूल हो जाय तो कुळकर पैसे दण्ड स्वरूप देवपूजन या गरीब-सेवा में लगा दोगे।
वे चार बातें ये हैं
(१) कभी मिथ्या न बोलना ।
(२) परचर्चा नहीं करना।
(३) शपथ नहीं करना और
(४) चरित्रनाश कभी न होने देना।
बस, हमारी यही शिक्षा है। छात्रों ने आदेश स्वीकार किया। स्वामी जी बहुत प्रसन्न हुए। उन छात्रों में एक मैं भी था। लंबा काल बीत गया, पर स्वामी जी कीअमर-वाणी मेरे हृदय में बैठी हुई है।