Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
बाण हरि हे लाग्या, बाण हरि।।
मीरा जी के लाग्या, बाण हरि।।
ज्ञान बाण हृदय में लाग्या,इस थारी मीरा कै।
प्रेम कटारी इसके कालजे अड़ी।।
प्रेम कटारी इसके कालजे अड़ी।।
तन के कपडे तार भगाए, इसी ए हुई थारी मीरा।
अंग में तो उसने भभूत मली।।
अंग में तो उसने भभूत मली।।
अन्न नहीं खावै या जल नहीं पीवै,इसी हुई हे थारी मीरा।
सूख के वा हुई लकड़ी।।
सूख के वा हुई लकड़ी।।
मीरा के रविदास गुरू हुए,इसी बनी ए थारी मीरा।
गुरू के चरण में जाए पड़ी।।
गुरू के चरण में जाए पड़ी।।