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सन्त समागम होए, तहां नित जाइये-Kabir Ke Shabd-sant samaagam hoa, tahaan nit jaaeye।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
सन्त समागम होए, तहां नित जाइये।

हिये में उपजै ज्ञान, राम गुण गाइये।।

ऐसी सभा जल जाए, कथा नहीं राम की।
बिन नोशे की बारात, कहो किस काम की।।

संतां सेती प्रीत,पले तो पालिये।
राम भजन में देह, गले तो गालिये।।

ये मन मूढ़ गंवार, मरे तो मारिये।
कंचन कामिनी फन्द, टरे तो टारिये।।

चल रही पछवा पोन, चिन्ह उड़ जाएंगे।
हर्ष कह बाजिन्द मूर्ख पछताएंगे।।
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