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इसी फिक्र में मीरा हुई रे बावली,नैन गंवाए रो रोए-Kabir Ke Shabd-esi phikr men miraa hui re baavli, nain ganvaaa ro roa।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

इसी फिक्र में मीरा हुई रे बावली, नैन गंवाए रो रोए।।
बालकपन की मेरी चमक चुनड़ी,  दिन-२मैली होए।
मन तो चाहवै इसी रँगाउँ,  कदे न मैली होए।।


बालकपन हंस खेल गंवाया, भरी जवानी पड़ सोइ री।
सखियों के सँग रलमिल खेली, संग चली न मेरे कोए।।

छोड़ो री छोड़ो सखियों पीहर का बसना, लोग तकेंगे तोए री।
के मुंह लेके जाऊंगी पिया कै, रंग रूप दिया खोए री।।

घाट घाट का सब कोए भरियाँ ओघट भरै न कोए री।
कह मीरा रविदास की चेली, पिये तैं निर्मल होए री।।
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