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मत बुरे कर्म कर बन्दे वरना पछताएगा – Mat Bure Karm Kar Bande Kabir ji Ke Shabd ||

मत बुरे कर्म कर बन्दे

मत बुरे कर्म कर बन्दे – कबीर के शब्द

मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।
भगवान की नजर से, ना बच पाएगा।
अरे ओ प्राणी, मत कर नादानी।।

जब जाएगा तुं बन्दे, यम के दरबार में।
ना बने हिमाती तेरा, कोई संसार में।
ये कुटुम्ब कबीला तेरा, ना तुझे बचाएगा।।
जिस के लिये करता है, तुं छल और बेईमानी।
कोई नहीं है तेरा, ये बात न पहचानी।
अपने कर्मों का फल तुं,खुद ही पाएगा।।
जब जब किसी जग में, तुं दिल दिखाएगा।
जीवन में कभी भी तुं, चैन न पाएगा।
बन्दे अपने से निर्बल को, जो तुं सताएगा।।
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