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मन की सामर्थ्य -Motivational Story of Strength of mind in hindi

मन की सामर्थ्य – Strength of mind

एक दिन मैं किसी पहाड़ी से गुजर रहा था। एक बड़ा विशाल बरगद का पेड़ खड़ा तलहटी की शोभा बढ़ा रहा था। उसे देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई संसार में कैसे कैसे सामर्थ्यवान् लोग हैं, ऐसे लोग दूसरों का कितना हित करते हैं। इस तरह सोचता हुआ मैं आगे बढ़ गया।

कुछ दिन बीते उसी रास्ते से पुनः लौटना हुआ। जब उस पहाड़ी पर पहुँचा तो वहाँ वट वृक्ष न देखकर बड़ा विस्मय हुआ। ग्रामवासियों से पूछने पर पता चला कि दो दिन पहले तेज तूफान आया था, वृक्ष उसी में उखड़ कर लुढ़क गया। मैंने पूछा – “भाई वृक्ष तो बहुत मजबूत था फिर वह उखड़ कैसे गया।” उन्होंने बताया- “उसकी विशालता दिखावा मात्र थी। भीतर से तो वह खोखला था। खोखले लोग हल्के आघात भी सहन नहीं कर सकते।”

तब से मैं बराबर सोचा करता हूँ कि जो बाहर से बलवान्, किन्तु भीतर से दुर्बल हैं, ऐसे लोग संसार में औरों का हित तो क्या कर सकते हैं, वे स्वयं अपना ही अस्तित्व सुरक्षित नहीं रख सकते। खोखले पेड़ की तरह एक ही झोंके में उखड़ कर गिर जाता है और फिर कभी ऊपर नहीं उठ पाता। जिसके पास भावनाओं का बल है, साहस की पूँजी है, जिसने मानसिक शक्तियों को, संसार की किसी भी परिस्थिति से मोर्चा लेने योग्य बना लिया है, उसे विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में किसी प्रकार परेशानी अनुभव न होगी। भीतर की शक्ति सूर्य की तेजस्विता के समान है जो घने बादलों को चीर कर भी अपनी शक्ति और अस्तित्व का परिचय देती है। हम में जब तक इस तरह की आन्तरिक शक्ति नहीं आयेगी, तब तक हम उस खोखले पेड़ की तरह ही उखड़ते रहेंगे, जो उस पहाड़ी पर उखड़ कर गिर पड़ा था।

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