Kabir ke Shabd
अंदर अनमोला रे लाल,हर दम माला फेरियो जी
बिन तागे तेरी तस्वी पोइ,बिना श्यार तावीज
अंदर सुमरनी फेरी कोन्या,रहा है काट पे रीझ।
मर के जिक्र मिठे सब तेरा,मर के फेरियो जीव।
लाख दुहाई तने तेरे सद्गुरु की,तुझ में ही है तेरा पीव।
पहलम आप चेतीये रे फेर मुंडाइये मुंड।
इधर उधर को क्या देखत है, इसी ढूंढ में ढूंढ।
21606 कहिये,चाँद सूरज के बीच।
नो दरवाजे प्रगट दिखें दसवें में जगदीश।
मोजी साध बन्दगी वाकी, ज्ञान दियो उपदेश
कल्लन शाह ने सैन लखाई,दिल अंदर प्रवेश।