Search
राग परजा-२५
अब हम वह तो कुल उजियारी। टेक
पांच पुत्र तो उदू के खाये, ननद खाइ गई चारी।
पास परोसिन गोतिन खाई, तापर बूढ़ी महतारी
सोलह खसम नैहर में खाए, बत्तीस खाये ससुरारी।
धन्य सराही यही पुरुष वो सरवरि करत हमारी।
सास ससुर पाटी में बांधे भसुरा भी गोड़बारी ।
कुलबोरनी सेज बिघायो सोयो टांग पसारी।
कहै कबीर सुनो भाई साधो सन्तन लेहु विचारी।
वा पद का जो अर्थ लगावे, वही पुरुष हम नारी।
जब
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply