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भजन गजल-६६
देखिए कैसा अविद्या ने अजब धोखा दिया
झूठ को सब दुःख को,
सुख विपरीत बोध करा दिया।
जिसका निर्गुन निराकार,
निरीह करता है श्रति ।
उस अमरत दिव्य सूरत को,
शास्त्र शहस्त्र
भी जड़ बनवा दिया।
कहते हैं,
सभी के आत्मा है ज्ञानवान ।

ना।
क।
री।

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