कहते हैं जब बुद्ध को ज्ञान हुआ तो वे सात दिन तक चुप रहे। चुप्पी इतनी मधुर थीं, ऐसी रसपूर्ण थीं कि रोआं रोआं उसमें सराबोर हो गया। उनकी बोलने की इच्छा ही न जागी, बोलने का भाव ही पैदा न हुआ। कहते हैं कि देवलोक थरथराने लगा। कहानी बड़ी मधुर है।
कहते हैं कि ब्रह्मा सभी देवताओं के साथ बुद्ध के सामने मौजूद हुए व उनके चरणों में झुके। हमने देवत्व से भी ऊपर रखा है बुद्धत्व को। देवता भी तरस्ते हैं बुद्धत्व को।

धन्यवाद।