बुद्ध से कोई पूछता है, बुद्ध आपने ध्यान से क्या पाया? बुद्ध का उत्तर सुन कर चोंक जाते हैं सब लोग। एक बार बुद्ध के कुछ भिक्षु बुद्ध से पूछते हैं, बुद्ध आपने ध्यान से क्या पाया? बुद्ध उनकी तरफ देखते हैं और मुस्कुराते हैं। बुद्ध कहते हैं मैंने ध्यान से कुछ नहीं पाया। सभी भिक्षु बुद्ध का उत्तर सुन आश्चर्यचकित होते हैं। क्योंकि उन्होंने हमेशा से यह सुना था कि ध्यान में हमें वह सम्पदा मिलती है, जो दुनिया की हर सम्पदा से बहुत बड़ी है। परन्तु बुद्ध तो यह कह रहे थे कि उन्हें ध्यान से कुछ भी प्राप्त न हुआ। इसलिए वे थोड़े चिंतित होते हैं।
इसलिए ध्यान को कुछ पाने के लिए न करके इस बोझे को छोड़ने के लिए करो। जो तुमने अपने ऊपर लादा हुआ है। जिसे तुम ढोए फिरते हो। तब तुम कुछ नया जान सकोगे। तब तुम कुछ अलग जान सकोगे।
सभी भिक्षु बुद्ध को धन्यवाद कहते हैं। और बुद्ध से कहते हैं बुद्ध, आज हम समझ गए हैं कि ध्यान क्या है? ओर इसे कैसे करना है? धन्यवाद बुद्ध, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। तो ध्यान का उद्देश्य कुछ पाने की बजाए जो इकट्ठा किया हुआ है, उसे छोड़ना बनाएं। तब आप ध्यान में वास्तव में कुछ नया पा सकेंगे।