ईश्वर है या नहीं – God or not
गौतम बुद्ध के भगत आनन्द ने एक घटना की चर्चा की है। आनन्द ने बताया था कि जब वे बुद्ध के साथ किसी गांव से गुजर रहे थे। तो सुबह सुबह एक आदमी ने बुद्ध को प्रणाम करते हुए कहा कि मैं आस्तिक हूँ और मानता हूँ कि ईश्वर है। बुद्ध ने कहा कि नहीं, ईश्वर नहीं है। समझ में नहीं आता कि तुम आस्तिक क्यों बन गए। मैने खोजा है और पाया है कि ईश्वर नहीं है। वह चोंक गया। उसे लगा था कि बुद्ध आस्तिकता के बारे में कुछ और अच्छी बातें बताएंगे। पर बिल्कुल उल्टा हुआ।

मैंने तीन अलग अलग काम इसलिए किए कि जो जैसा था उसे वहां से हटा दिया। ये सब अपनी अपनी मान्यताओं में जड़ थे। और जड़ता धर्म तथा आध्यात्म को विकृत कर देती है। जो भी मान्यता है उसमें पहले जीवन उतारो और फिर देखो। तभी उसका उत्तर मिलेगा। जड़ता सारे जीवन को भर्मित कर देती है।