Home Uncategorized “अपनी-अपनी आन पर मिटे”

“अपनी-अपनी आन पर मिटे”

31 second read
0
0
14

“अपनी-अपनी आन पर मिटे” 

अकड़-अकड़ कर चल रहा झूँठी तेरी शान। 
पति- पत्नी की जिद से लोग हुए हैरान॥ 
एक नवयुवक बी० ए० करने के पश्चात्‌ नौकरी करने  लगा। उसका विवाह एक कैप्टन की पुत्री के साथ हो गया। वह लड़की भी बी० ए० पास थी। उस नवयुवक को जैसी लड़की की इच्छा थी, वैसी ही मिल गई थी। कुछ दिनों के बाद वे दोनों पति पत्नी मुम्बई में जाकर नौकरी करने लगे। 
images%20(7)

उसकी पत्नी बालिका विद्यालय में पढ़ाने लगी और नवयुवक एक दफ्तर में नौकरी करने लगा। पत्नी पति के बीच में इतना प्यार मौहब्बत थी कि इनको देखकर मौहल्ले के व्यक्ति आश्चर्य चकित थे। रविवार का दिन था। नवयुवक ने अपनी पत्नी से कहा- प्राणप्रिये! आज अवकाश का दिन है। तुम मूंग की दाल के चीले बना लो। मैं इतनी देर में बाजार का एक चक्कर लगाकर आता हू और चीले खाकर आराम करूगा। 
नवयुवक बाजार को चला गया। उसके पीछे पत्नी ने चीले व पूड़े बना लिए।नवयुवक एक घंटे बाद बाजार से लौटकर आया तो उसने पूछा- चीले व पूड़े बन गये। पत्नी ने उत्तर  दिया हाँ तैयार हैं। उसकी पत्नी ने थाली में दस माल पुए  रख दिये और दूसरी थाली में ग्यारह माल पुए अपने लिए रख लिए। यह अन्तर देखकर नवयुवक का पारा आसमान  पर चढ़ गया और क्रोध में भरकर बोला–दस पुए तो तेरा पति खाये और ग्यारह पुए तू खाये, क्या यही पति सेवा है? बेशर्म तू कहीं जाकर डूब मर।
 इस पर उसकी पत्नी ने उत्तर दिया-मैं भले ही भूखी  प्यासी रहूँ परन्तु में अपनी जिद की पक्की हूँ। इसलिए मैं ग्यारह माल-पुए ही खाऊंगी। इस पर पति पत्नी में खूब कहा सुनी होने लगी। लड़ते झगड़ते दोनों में यह फेसला हुआ कि हम अपने-अपने बिस्तर पर सो जाते हैं। जो पहले बोलेगा वही दस माल-पुए खायेगा। इतना कहकर दोनों अपने-अपने पलंग पर लेट गए।  नवयुवक अपने दिल में सोच रहा था कि चाहे में नौकरी से निकाल दिया जाऊँ परन्तु मैं माल पुए तो ग्यारह ही खाऊँगा।
 उसकी पत्नी भी यह सोच रही थी कि चाहे मैं जीते  जी जलकर मर जाऊँ परन्तु मालपुए तो मैं ग्यारह ही खाकर रहूँगी। उन दोनों की जिद का यह परिणाम हुआ कि रविवार का सारा दिन और सारी रात लेटे – लेटे ही व्यतीत हो गई परन्तु आपस में एक दूसरे से कोई नहीं बोला। दूसरे दिन सोमवार को भी जब बारह बजे सब लड़कियाँ स्कूल में आयी परन्तु अध्यापिका को न देखकर कुछ लड़कियाँ उनके घर आईं और किवाड़ खटखटाते हुए बोलीं-बहिनजी! , बहिन जी! दरवाजा खोलिए, क्या आज स्कूल की छुट्टी कर दें? परन्तु मकान के अन्दर से आवाज क्योंकर आती, क्योंकि यहाँ पर तो दोनों पति-पत्नी अपनी-अपनी जिद तथा आन पर अड़े हुए थे और दोनों अपने-अपने मन में सोच रहे थे कि हम मर मिटेंगे परन्तु अपनी शान पर धब्बा न आने देंगे। इधर लड़कियों ने शोर मचाना शुरू कर दिया।
 उनके शोर से आस-पास के मौहल्ले के बहुत से व्यक्ति भी वहाँ जमा हो गये और एक दूसरे से कहने लगे कि कल दोपहर से इस समय तक बाबू साहब के मकान का दरवाजा अन्दर से बन्द है। दो चार समझदार व्यक्तियों ने कहा–पुलिस को बुलवाना चाहिये और दरवाजा तोड़ कर उनकी खबर लेनी चाहिए। हो सकता है कि दोनों अन्दर मर गये हों। एक  आदमी ने थाने में जाकर पुलिस को सूचना दी। थानेदार  सिपाहियों को लेकर मकान पर आ गये। पुलिस ने मकान को चारों ओर से घेर लिया। थानेदार ने मोहल्ल वालों के  बयान लेकर दरवाजे को तोड़ देने की आज्ञा दी। दरवाजे को तोड़ने के पश्चात्‌ थानेदार और सबने देखा कि बाबू नवयुवक और उसकी पत्नी दोनों अपने-अपने पलंग पर अकड़े हुए पड़े हैं और उन्होंने यह भी देखा कि दोनों के मुख से सांस तक नहीं निकल रही है। 
सब व्यक्तियों ने समझा कि दोनों मर गये हैं। लोग कहने लगे भाइयों! देखो इन दोनों के प्यार तथा प्रेम की भी हद है। मरे भी तो साथ ही मरे। उन दोनों को एक ही अर्थी पर लिटा कर कपड़ा डालकर सुतली से बॉंधकर अर्थी को कंधे पर रखकर लोग राम नाम सत्य है बोलते हुए मरघट को चल दिये। जो लोग अर्थी को उठाए और अर्थी के साथ चल रहे थे, वे सब गिनती में इक्कीस थे। मरघट में पहुँचकर दोनों को एक ही चिता पर लिटाकर ऊपर से लकड़ियाँ चुन दी गईं। अब एक व्यक्ति चिता में आग देने के लिए बढ़ा। यह देखकर नवयुवक की पत्नी चिता में उससे कहने लगी। हे स्वामी! मैं हार गई और मैं  दस ही स्वीकार करती हूँ।
 मैं अपने कान पकड़कर प्रतिज्ञा  करती हूँ कि अब जिद नहीं करूँगी। इक्कीस आदमी जो  मरघट में बैठे हुए थे उन्होंने जब चिता के अन्दर से औरत के ये शब्द सुने तो वे सब मरघट से यह कहते हुए एक दम भाग खड़े हुए कि भागो-भागो ये दोनों तो भूत और भूतनी बन गये हैं देखो यह औरत कह रही है कि मैं दस खा लूँंगी और ग्यारह को इसका पति खायेगा। हम सब कुल इक्कीस ही आदमी हैं। भागो-भागो नहीं तो हम सब की शामत आ जायेगी। फटाफट लोग अपने-अपने घरों को आ गये। इधर वह पति-पत्नी चिता पर से उठे और अपनी मूर्खता पर पश्चाताप्‌ करते हुए घर को लौट आए। घर आकर उन्होंने देखा कि सब मालपुए तो बिल्ली चट कर गई यह देखकर दोनों अपने सिर धुनकर पश्चाताप्‌ करने लगे। 
मित्रों! जो पति-पत्नी जरा-जरा सी बातों पर तथा छोटी – छोटी चीजों पर आपस में हट करने लगते हैं और झगड़ा करना शुरू कर देते हैं, उनका अन्तिम परिणाम बुरा ही निकलता है। इसलिए पति-पत्नी को एक दूसरे से परस्पर प्रेम तथा मुहब्बत का व्यवहार कर अपने को लड़ाई झगड़े से दूर रखकर पवित्र रखना चाहिए।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
  • Kabir Bhajan – raag jhanjhoti-shabd-2

    राग झंझोटी : २बाल्मीकि तुलसी से कहि गये,एक दिन कलियुग आयेगा । टेकब्राह्मण होके वेद न जाने,…
  • राग बिलाप-२७अब मैं भूली गुरु तोहार बतिया,डगर बताब मोहि दीजै न हो। टेकमानुष तन का पाय के रे…
  • शब्द-२६ जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेकसाधु संगति कबहु के कीन्हा,दया धरम कबहू न कीन्हा,करजा काढ…
Load More In Uncategorized

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

How to Restore Data in Busy-21?

How to Restore Data in Busy-21? Learn the essential steps for restore data in Busy-21. Saf…