Home Hindu Fastivals साँपदा माता का कहानी – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

साँपदा माता का कहानी – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

0 second read
0
0
26

साँपदा माता का कहानी

एक राजा था। उसका नाम नल था। उसके दमयंती नाम की रानी थोी। एक दिन महल के नीचे एक बुढ़िया आई जो साँपदा माता का डोरा बांट रही थी और कहानी सुना रही थी। वहां पर बहुत भीड़ हो रही थी। सब औरतें डोरा ले जा रही थीं। रानी ने ऊपर से देखा ओर दासी से बोली कि नीचे देखकर आ किस चीज की भीड़ हो रही है? वह देखकर आई ओर बोली कि एक बुढिया साँपदा का डोरा बांट रही है जिससे धन लक्ष्मी होती है। वह डोरा कच्चे सूत की सोलह तार की सोलह गांठ दे और हल्दी में रंगकर पूजा करके सोलह नये जो के दाने हाथ में लेकर साँपदा माता की कहानी सुनकर गले में बांधे। तब रानी ने भी डोरे की पूजा करके अपने हार में बांध लिया। जब राजा बाहर से आया तो डोरा देखकर बोला कि रानी आज हार में क्‍या बांध रखा है। रानी ने कहा यह सांपदा माता का डोरा है, इससे धन होता है। रानी की बात सुनकर राजा ने कहा कि हमारे पास तो बहुत धन हे। यह देखने में अच्छा नहीं लगता और रानी के मना करने के बाद भी उसे तोड़कर फैंक दिया। राजा के ऐसा करने पर सांपदा माता ने नाराज होकर उनका सारा धन कोयला कर दिया वे परेशान हालात में अपने दोस्तों के घर गए, परन्तु किसी ने भी उन्हें खाने के लिए नहीं पूछा। वहां से वे एक दुसरे देश के राजा के पास गए वहां पर उस राजा का हार एक मोर निगल गया और राजा नल पर उसे चुराने का आरोप लग गया बहन के घर गए तो उसने भी उनका आदर सत्कार नहीं किया। वे एक सरोवर के पास बेठकर तीतर भूनने लगें, राजा जैसे ही भुने तीतर को खाने बेठा तो वो भी उड़ गए।

गरीेबी से तंग आकर राजा रानी ने एक मालन के घर नौकरी की। रानी फूलों की माला बनाकर बाजार में बेचने गई तो वहां औरतें कहानी सुन रही थी, रानी ने पूछा कि तुम क्‍या कर रही हो उन्होंने रानी को बताया कि जे सांपदा माता की कहानी सुन रही है। तब रानी ने भी डोरा लेकर सोपदा माता की कहानी कही। सांपदा माता ने प्रसन्‍न होकर राजा को दर्शन दिए ओर कहा कि में तेरे पास आऊंगी। राजा ने पूछा कि मुझे पता केसे चलेगा। तब साँपदा बोली कि जब सुबह कुएं से जल भरने जाएगा तो पहली बार जो निकलेंगे, दूसरी बार में हल्दी की गांठ, तीसरी बार में कच्चा सूत निकलेगा। फिर रानी साँपदा माता का डोरा लेकर घर चली गई व सांपदा माता ने उन्हें बहुत सा धन दिया। फिर राजा रानी बोले कि अब हमारे बारह वर्ष पूरे हो गए ओर अच्छे दिन आ गये हैं इसलिए हम अपने घर जा रहे हैं। तब मालिन ने उन्हें बहुत सा धन दिया। वहां से वह अपने दोस्त के यहां पहुंचे तो राजा ने उन्हें अपने नए महल में ठहराया। फिर राजा नल बोला कि हमें वहीं पर ठहरा दो जहां पहले ठहराया था। वहां जाकर देखा तो जो हार मोर निगल गया था वह हार खूंटी पर टंगा था और उनका कलंक उतर गया। वहां से वह बहन के गए तो बहिन ने उन्हें नए महल में ठहराने के लिए कहा। तब राजा रानी बोले हमें तो वहीं पर ठहरा दो जहां पर पहले ठहराया था। जब वह वहां पर गये तो जो धरती बच्छी निगल गई थी वह दे दी। तो राजा रानी से बोला कि अब हमारे दिन अच्छे आ गए हैं। वहां से राजा रानी सरोवर के किनारे पहुंचे तो देखा दोनों तीतर पडे हें। वे समझ गए कि ये वही तीतर हें जो उड़ गए थे। वहां से राजा रानी अपने महल की तरफ चले तो देखा कि जो दरवाजा टेढ़ा हो गया था वह ठीक .हो गया, सोने की झारी आ गई, दातन हरी हो गई। जो ब्राह्मण की बेटी दीया जलाने के लिए छोड़ गए थे। उसको उन्होनें अपनी धर्म बेटी बना लिया। उसको बहुत सा धन दोलत देकर उसका विवाह कर दिया ओर रानी ने साँपदा माता का उद्यापन किया। सोलह ब्राह्मणी जिमाई, सोलह चीजें दीं, हलवे पूड़ी की रसोई बनाई। हे सांपदा माता! जेसा पहले राजा को दिया वैसा किसी को भी मत देना और जैसा राजा को बाद में दिया बैसा सबको देना। कहते सुनते दा भरते सारे परिवार को दियो। बाद में बिन्दायक जी की कहानी ।

Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Hindu Fastivals

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

बुद्ध को हम समग्रता में नहीं समझ सके – We could not understand Buddha in totality

बुद्ध को हम समग्रता में नहीं समझ सके – We could not understand Buddha in totality Un…