ज्येष्ठ मास की गणेशजी को कथा
प्राचीन काल में पृथ्वी पर राजा पृथु का राज्य था प्रथु के सत्य मैं जगरय नाम का एक ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण के सार पुत्र थे। खारों का सियाई हो चुका था। बड़ी पुत्रवधू गणेश चौथ का ब्रत करती खाहती थी। उसने इसके लिये अपनी सास से आज्ञा माँगी तो सास ने इन्कार कर रिया जब-जब भी बहू ने अपनी इच्छा अपनी मास के आगे ठ्यवत की, साय ने मना कर दिया। बहू परेशान सी रहने लगी।
