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सत्य बोलने का फल

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सत्य बोलने का फल

सत्यान्नास्ति परं तप:
एक माँ ने मरते समय अपने पुत्र से कहा – बेटा! हमेशा सच बोलना। अन्तिम समय में मेरे पास तुम्हारे लिए यही धन है। इतना कहकर माता स्वर्गलोक को सिधार गयी। बेटे ने भविष्य में सत्य बोलने का प्रण लेकर माता के शब्दों का पालन करने का निश्चय कर लिया।
एक दिन वह जंगल में से होकर कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे चार चोर मिले। चोरों ने उससे पूछा – तेरे पास क्‍या है? बच्चे ने बताया – मेरे पास केवल बीस रुपये हैं। चोरों ने उसकी सारी जेब टटोल डाली और क्रोध में , भरकर बोले – झूँठा कहीं का हमें परेशान करता है, भाग जा यहाँ से । लड़का बोला-मैं झूँठ कभी नहीं बोलता हूँ। वे बीस रूपये मेरे कोट के अस्तर में सिले हुए हैं।
जब चोरों ने रुपये देखे तो उन्होंने खुश होकर कहा – अच्छा तुम यह रूपये और रखो । यह तुम्हारे सत्य बोलने का इनाम है । साथ ही चोरों ने भी सत्य बोलना प्रारम्भ कर दिया और चोरी करना छोड़ दिया। 
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