Home Kabir ke Shabd असमय परे रहीम कहि -कवि रहीम-13

असमय परे रहीम कहि -कवि रहीम-13

3 second read
0
0
53

असमय परे रहीम कहि

असमय परे रहीम कहि,” मांगि जात तजि लाज।

ज्यों लछमन मांगन गए, पारासर के नाज।॥। 13॥।

अर्थ–कवि रहीम कहते हैं कि बुरा समय आने पर लज्जा त्यागकर याचना की जाती है। जैसे वनवास के समय लक्ष्मण ऋषि पराशर के समीप कंद, मूल, फल आदि मांगने के लिए गए।
भाव—स्वभाव से भिक्षा मांगना कोई नहीं चाहता, किंतु बुरा समय आने पर अच्छे-से-अच्छा समर्थ व्यक्ति भी भिक्षा मांगने के लिए विवश हो जाता है। श्रीराम जिन दिनों चौदह वर्ष के लिए वनवास का जीवन-यापन-कर रहे थे, उन दिनों भूख मिटाने के लिए उन्हें लक्ष्मण को पराशर ऋषि के पास कंद-मूल और फल आदि लाने के लिए भेजना पड़ा था। वास्तव में पेट की आग हर तरह की लज्जा को नष्ट कर डालती है।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Kabir ke Shabd

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

How to Restore Data in Busy-21?

How to Restore Data in Busy-21? Learn the essential steps for restore data in Busy-21. Saf…