मोती की खोज
एक दिन दरबार में बीरबल का अपानवायु ( पाद ) निकल गया। इस पर सभी दर्बारी हँसने लगे। राजा ने बीरबल पर क्रोधित होकर उसे शहर से निष्कासित कर दिया | बीरबल छ: माह बाहर रहकर जब शहर में आये तो एक दिन राजा की दृष्टि उस पर पड़ गयी। बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा – अब तो तुम दिखाई ही नहीं पड़ते हो।
बीरबल बोला – महाराज! मैं मोतियों की खेती उगाना सीख कर आया हूँ, इसलिए थोड़े दिन के लिए बाहर चला गया। बादशाह लोभ में पड़कर बीरबल से बोले-भाई! हमारे लिए भी मोतियों की खेती कर दो । तुम जो चाहोगे सो तुम्हें साथ लेकर देखने गये। प्रातःकाल के समय पड़ी हुई ओस सूर्य की प्रथम किरणों में मोती के समान चमक रही थी। बीरबल ने कहा – महाराज! पर एक बात है, जो व्यक्ति जीवन भर में कभी पादा न हो वही इन मोतियों को अपने हाथ से उठा सकता है। बादशाह ने देखा कि सभी की निगाहें झुकी हुईं थीं। बादशाह भी अपनी गलती पर बड़े शर्मिंदा थे।
मिलेगा।
बीरबल बादशाह अकबर से एक लाख रुपये महीने लेने लगा। बीरबल ने गेहूँ बो दिये। एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा कि मोती उग आये हैं या नहीं। बीरबल ने बताया–महाराज! अभी पूरी तरह पके नहीं हैं। कल को आप देखने चल सकते हैं। बादशाह सभी दरबारियों को