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मृग के पैर में चक्की

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मृग के पैर में चतकी 

रात के समय एक राजा हाथी पर बैठकर एक गाँव के पास से निकलो। उस समय गांव वाले सो रहे थे। गाँव वाले जब प्रातःकाल उठे तो उन्होंने हाथी के पाव के निशान देखे तो बड़े विस्मित हुए क्‍योंकि उन्होंने पहले कभी हाथी नहीं देखा था और न उसका नाम ही सुना था।
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गाँव वाले दौड़े हुए लाल बुझक्कड़ के पास गये और हाथी के पाँव के निशान दिखाते हुए पूछने लगे। लाल बुझक्कड़ ने हाथी के खोज देखकर कहा –
अज्ञानी क्या जानता, जानत है सुजान।।
पग॒ में चक्‍की बाधकर, जड़े रात मिरग॒॥
अर्थात्‌ बुद्धिमान व्यक्ति बात को उसी समय समझ जाते हैं परन्तु मुर्खो को कभी ज्ञान नहीं होता। अरे यहाँ तो हिरण पैरों में चक्की बाधकर रात भर जुड़े हैं।
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