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जैसे साॅपनाथ तैसे नागनाथ

जैसे साॅपनाथ तैसे नागनाथ 

एक बार आम के वृक्ष के नीचे दो मित्र बैठे हुए थे। एक 
यात्री को जाता देखकर एक मित्र ने उसे बुलाया और बोला-( 
“ऊपर पेड़ पर से आम गिर पड़ा है, जरा इसका रस मेरे मुँह में । 
निचोड़ दो।” 
यात्री ने कहा–तुम तो बड़े सुस्त हो। प्रभु ने तुम्हें इस ( 
काम के लिए दो हाथ दिये हैं, उनसे काम लो। | 
दूसरा मित्र बोला–हाँ बाबूजी! यह तो बहुत सुस्त बालक ( 
है। रात्रि भर यहाँ कुत्ता मेरा मुंह चाटता रहा, मैंने इससे कई 
बार कहा कि कुत्ते को भगा दे परन्तु इससे यह काम नहीं 
हुआ। 
यात्री ने कहा–ठीक है। 
धोबी से क्‍या तेली घाट। 
एक का मोंगय एक की लाट॥ 
तुम दोनों ही महान आलसी हो। 
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