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जिसकी जूती उसी का सर”!

“जिसकी जूती उसी का सर”! 

एक नाई को एक आदमी का कत्ल करने के कारण फाँसी की सजा मिली। नाई ने एक वकील से सलाह ली। वकील महोदय ने बताया कि हम तुम्हें फॉसी से बचा तो 
‘ सकते हैं, परन्तु तुम्हें हमारी फीस दो हजार रुपये देने पड़ेंगे। 
जान सभी को प्यारी होती है। नाई वकील की फीस देने को तैयार हो गया। 
वकील साहब ने नाई से कहा–जब जज साहब तुमसे कोई भी प्रश्न पूछें तो तुम ”मैं” कह दिया करना। इसके अतिरिक्त और कुछ न बोलना। नाई ने वकील साहब की आज्ञा का पालन किया। जज साहब ने पूछा–तुमने आदमी का कत्ल किया। नाईं ने कहा–मैं | इस तरह नाई ने प्रत्येक प्रश्न का उत्तर ”मैं” बोलकर दिया। जज साहब नाराज होकर बोले–यह क्‍या ”में, मैं ‘ ‘ लगा रखी है। 
तब वकील साहब बोले-श्रीमान जी! यह तो एक पागल व्यक्ति है। यह किसी को क्या मार सकता है? 
. जज महोदय ने उसे मुक्त कर दिया। 
बाहर आकर वकील ने अपनी फीस के दो हजार रुपये माँगे तो नाई बोला–‘ ‘ मैं ”… 
वकील साहब बोले—हमारी बिल्ली हमसे ही म्याऊँ…। 
नाई बोला–वकील साहब में मुझे फॉसी से बचा सकता है तो दो हजार रुपये देने से भी बचा सकता है। 
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