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“मुहम्मद अली: एक जीवन गाथा” (Muhammad Ali: Ek Jeevan Gatha)

मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को लुइसविल, केंटकी, अमेरिका में हुआ था। उनका असली नाम कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर था। 12 साल की उम्र में, अली ने बॉक्सिंग की शुरुआत की। उन्होंने जल्दी ही अपनी प्रतिभा को पहचाना और अपने करियर की नींव रखी।

1960 में, अली ने रोम ओलंपिक में लाइट हेवीवेट डिवीजन में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने पेशेवर बॉक्सिंग में कदम रखा और अपनी शानदार फुर्ती और ताकत से सभी को प्रभावित किया। 1964 में, उन्होंने सन्नी लिस्टन को हराकर पहली बार विश्व हैवीवेट चैंपियन का खिताब जीता। उसी साल, उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया और अपना नाम बदलकर मोहम्मद अली रखा।

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अली ने अपने करियर में कई प्रतिष्ठित मैच खेले और जीते। उन्होंने जो फ्रैजियर, जॉर्ज फोरमैन, और केन नॉर्टन जैसे दिग्गज बॉक्सर्स के खिलाफ मुकाबले लड़े। अली ने अपने अद्वितीय स्टाइल, ‘फ्लोट लाइक ए बटरफ्लाई, स्टिंग लाइक ए बी,’ के जरिए बॉक्सिंग की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

1967 में, अली ने वियतनाम युद्ध में शामिल होने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उनकी बॉक्सिंग लाइसेंस रद्द कर दी गई और उनके खिताब छीन लिए गए। हालांकि, 1971 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया, और वे वापस रिंग में लौटे।

अली का बॉक्सिंग करियर 1981 में समाप्त हुआ। वे तीन बार विश्व हैवीवेट चैंपियन बने और उन्हें बॉक्सिंग इतिहास के महानतम मुक्केबाजों में गिना जाता है। 1984 में, उन्हें पार्किंसन रोग का पता चला, जिसके बाद उन्होंने अपनी बाकी की जिंदगी इस बीमारी से जूझते हुए बिताई।

मोहम्मद अली का निधन 3 जून 2016 को हुआ। उन्होंने न केवल बॉक्सिंग में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे मानवाधिकारों के पक्षधर थे और अपने साहस, समर्पण और आत्मविश्वास के लिए याद किए जाते हैं।

अली की जीवनी प्रेरणा का स्रोत है और उन्होंने अपने जीवन से यह सिखाया कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, आत्मविश्वास और धैर्य के साथ उन्हें पार किया जा सकता है।

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