पेले का असली नाम एडसन अरांटेस डो नासिमेंटो है। उनका जन्म 23 अक्टूबर 1940 को त्रेस कोराजोन्स, मिनस गेरैस, ब्राज़ील में हुआ था। उनके पिता, जोआओ रामोस डो नासिमेंटो, एक फुटबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पेले का नाम महान अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन के नाम पर रखा गया था।
पेले का फुटबॉल के प्रति प्रेम बचपन में ही जाग उठा था। उन्होंने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत साधारण गेंदों से की, जो उन्होंने पुराने मोजों और कपड़ों से बनाई थी। उनकी प्रतिभा को देखकर उनके पिता और कोचिंग स्टाफ ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
पेले ने 15 साल की उम्र में सैंटोस फुटबॉल क्लब के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। उनकी शानदार खेल तकनीक और अद्वितीय क्षमता ने उन्हें जल्दी ही स्टार बना दिया। 1956 में, उन्होंने अपना पहला पेशेवर मैच खेला और जल्द ही अपनी टीम का अभिन्न हिस्सा बन गए।
पेले ने 1958 में, जब वे मात्र 17 साल के थे, अपना पहला विश्व कप खेला। उन्होंने इस टूर्नामेंट में ब्राज़ील की टीम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपनी टीम को विश्व कप जिताने में मदद की। पेले ने इस विश्व कप में 6 गोल किए, जिसमें फाइनल में दो गोल शामिल थे। इसके बाद 1962 और 1970 में भी ब्राज़ील ने पेले की अगुवाई में विश्व कप जीते।
पेले का खेल कौशल, उनकी गति, ताकत, और उत्कृष्ट फिनिशिंग क्षमता ने उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी बना दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 92 मैचों में 77 गोल किए और कई बार ‘फुटबॉलर ऑफ द ईयर’ का खिताब जीता।
पेले ने अपने अधिकांश करियर में सैंटोस के लिए खेला। उनके नेतृत्व में, सैंटोस ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते। 1975 में, पेले ने न्यूयॉर्क कॉसमॉस के साथ अनुबंध किया और वहां भी उन्होंने अपनी बेहतरीन खेल तकनीक से लोगों का दिल जीता।
पेले ने 1977 में फुटबॉल से संन्यास ले लिया। अपने संन्यास के बाद, उन्होंने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया। वे यूनीसेफ के गुडविल एंबेसडर बने और खेलों के माध्यम से विश्व शांति और शिक्षा के लिए काम किया।
पेले को फुटबॉल की दुनिया में उनके अतुलनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें ‘फुटबॉल का राजा’ और ‘ब्लैक पर्ल’ के नाम से जाना जाता है। 1999 में, उन्हें आईओसी द्वारा शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ एथलीट घोषित किया गया और 2000 में, फीफा ने उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ का खिताब दिया।
पेले का निधन 29 दिसंबर 2022 को हुआ। उनके निधन के बाद भी, उनकी विरासत और उनके द्वारा फुटबॉल में लाए गए बदलावों को हमेशा याद किया जाएगा। वे न केवल एक महान खिलाड़ी थे, बल्कि एक प्रेरणा स्त्रोत भी थे, जिन्होंने दुनिया भर के युवा खिलाड़ियों को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित किया।
पेले की जीवनी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी कहानी एक ऐसे लड़के की है जिसने साधारण साधनों से शुरुआत की और अपनी अद्वितीय प्रतिभा के बल पर दुनिया में अपनी पहचान बनाई।